एक मृत
कातिलः भाग 1
बात उस समय की है जब मै
अपने कमरे मे सो रहा था । यही रात के करीब तीन बज रहे थे कि मुझे मेरे घर के बाहर पुलिस
की विशाल फौज
सडको पर तैनात दिखी ।
यही नही , मुझे एकतरफा गोलियों की भी आवाज सुनाई दे रही
थी । मुझे दिख रहा था कई लोग अपने-अपने घरों से भाग रहे थे
चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी । मेरा इस दुनिया में कोई नहीं
था । मेरे परिवार के लोग एक रेल दहादसे में मारे गए थे । लेकिन आज का यह हादसा
कोई भयावह लेख से कम नहीं
था । चूँकी उस समय रात थी इसलिए गोलियाँ किसके ओर चल रही थी यह मैं नहीं देख सका ।
अचानक मेरे दरवाज़े में
खट-खट की आवाज़ सुनाई पड़ी । मैने नीचे जाकर देखा
तो पाया एक पुलिस अफसर दरवाज़े पर खड़ा मुझे घर खाली करने को कह रहा था । मैने उससे
पुछा कि यह सब मसला क्या
था । उसने बताया, प्रोफेसर
साहब, वैलिंगटन में एक हादसे में एक वायरस फैल गया है जो कोशिकाओं
के बनने में मदद करता
है पर अब हमें यह पता
चला है कि अगर यही वायरस मृत शरीर में चला जाए तो वह उस शरीर में नई जान डाल देता ।
मैने पूछा कैसे ,वह बोला
,आप जानते हैं की मरने
के बाद भी बाल, नाखून बढते हीं रहते हैं, दिमाग थोड़ी बिजली के सहारे काम करता रहता है लेकिन यह वायरस उसमें नई जान
डाल देता है । मैंने पूछा
क्या इससे मृत व्यक्ति जिंदा हो जाता है । उसने कहा पूरी तरह से तो नहीं पर ईससे वह
चल ज़रूर सकतें हैं । लेकिन इसका एक
उलटा असर यह हुआ है इससे
वह चलते-फिरते आदमखोर मुर्दों की सेना बन गई है । फिर
मैंने पुछा यह कब से शुरू हुआ है उसने कहा , पता नहीं,पर आज
रात 1 बजे से यह सक्रीय हैं । मुर्दों ने एक व्यक्ति
को देखते साथ हीं उसे नोच कर खा गए । हम उनपर तभी से गोलियाँ चला रहें हैं पर उन्हें कुछ नहीं होता । तत्काल
हमें एक हैलिकॅाप्टर पर बैठाया गया । आसमान से ऐसा लग रहा था मानो वेलिंग्टन शांत शहर
नहीं रणक्षेत्र बन गया हो । एक पल के लिए ऐसा लगा मानो इस शहर की तबाही यहीं से शुरू
हो गई है ।
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प्रहर्ष प्रियम
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