Wednesday 8 April 2015


                        100 के फरे और खेल खेल में डूबा

दूसरी कहानी बंदरगाह एक ऐसे लड़के की कहानी है जो पैसे के बदले लोगों को समुद्र किनारे डूबने का करतब दिखाता है। कहानी की शुरूआत में बंदरगाह पर एक सुप्रीम कोर्ट का अधिवक्ता चहल-कदमी करते हुए नजर आता है। तभी उसके पास एक लड़का आता है और कहता है कि वह मात्र 100 रुपए में अधिवक्ता को डूबने का करतब दिखाएगा। अधिवक्ता उसे हड़काते हुए वहां से चले जाने के लिए कहता है।
                                                बाद में लड़का अधिवक्ता से बार-बार खेल देखने का आग्रह करता है। तभी वहां एक पुलिस वाला आ जाता है। अधिवक्ता लड़के के बारे में पुलिस वाले को बताता है। पुलिस वाला 100 रुपए की बात सुनकर हैरान हो जाता है और अधिवक्ता को बताता है कि साहब पचास रुपए से ज्यादा कहीं रेट नहीं है। 100 रुपए बहुत ज्यादा है इसलिए आप उसे 50 रुपए ही देना। अधिवक्ता पुलिस वाले की बात सुनकर हैरान हो जाता है। पुलिस वाले के जाने के बाद लड़का फिर आ जाता और अधिवक्ता से फिर गुजारिश करता है। तब वकील कहता है कि वह सिर्फ पचास रुपए ही दे सकता है। लड़का मान जाता है डूबने से पहले लड़का अधिवक्ता को कहता है कि जब मैं सच में डूबने लगूं तो आप सामने बैठे उस आदमी को आवाज दे देना ताकि वह मुझे डूबने से बचा सके क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता। अधिवक्ता हैरान होता है कि लड़का तैरना नहीं जानता तब भी डूबने का करतब करता है। कहानी के अंत में जब लड़का सच में डूबने लगता है तो अधिवक्ता बचाने वाले को आवाज देता है लेकिन अधिवक्ता उस आदमी का नाम ही भूल जाता है।
                                         जिसे आवाज देकर बुलाना था और लड़का सच में डूब जाता है। नाटक से बताया कि शिक्षित होने के बावजूद अधिवक्ता न केवल बेवकूफ बना, बल्कि एक बच्चे की मौत का गवाह भी। यदि तैरना नहीं जाने की बात सुनकर वह उसे रोक लेता तो शायद उसकी जिंदगी बच सकती थी।
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