Friday 6 March 2015

My very Special Holi


                                होली  स्पेशल
मैं काफी छोटा था जब मैंने पहली बार पिचकारी पकड़ी थी । उन दिनों मैं इन सब चीज़ों से काफी डरता था लेकिन इनके साथ शरारतें काफी करता था । लोग मुझे "शरारती उस्ताद" कहकर पुकारते थे । मुझे भारतीय खेल काफी अच्छे लगते थे जैसे गिल्लि डंडा , कंछे आदि । त्योहारों के मज़े लेना मुझे काफी अच्छा लगता था । लेकिन एक दिन शरारत करने का फल कितना बुरा होता है वो मुझे एक दिन एहसास हुआ ।
      वो होली का त्योहार था । घर मोहल्ले में काफी तैयारिंयाँ चल रही थी । हमारे मोहल्ले में इस दिन प्रतियोगिताएँ होती हैं । हमारे मोहल्ले में एक लड़का था जो हमसे घुलना-मिलना नहीं चाहता था । हमने उसे होली सरप्राइज देने का सोचा हम उसके घर घुसे और इससे पहले वो कुछ कह पाता हमने उसके मुँह पर गुलाल फेंक दिया और चिल्लाने लगे ' होली है ' । लेकिन वो अचानक चिल्लाने लगा । गुलाल सीधे उसके आँखों में चली गई थी । तत्काल हमने पड़ोस में इस बात कि सुचना दी । उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और आँख की सर्जरी कराई गई । हमने उसके सफल सर्जरी की दुआ की । और भगवान के शुक्र से उसका इलाज सफल रहा ।
                    तभी उसी समय मैं यह बात समझ गया होली हर्षोलास का त्योहार है लेकिन जितनी सावधानीपुर्वक मनाया जाए उतना हीं अच्छा होता है । 
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